Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (14)

अचानक से रश्मि की आंख खुली तो सुबह के आठ बज रहें थे। सफर और थकावट कि वजह से उसकी आंख लग गई थी। वो फटाफट उठी और अपने कपड़े लेकर नहाने चली गई। बाथरूम उसके कमरे में ही था। 

वो नहाकर तैयार होकर नीचे आई ओर किचन में गई.....। 

किचन में बल्लु खड़ा था, उसने रश्मि को देखते ही पुछा.. आपको कुछ चाहिए मैम......? 


नहीं मैं वो बस पुछने आई थी मम्मी को चाय दी.....। 


मैम .......वो तो अभी सो रही है। घर के सब लोग सो रहे हैं। 

आपके लिए कोफी बना दुं.....। 


आप काम किजिए मैं खुद बना लेती हूं.....। 
ऐसा कहकर वो कोफी बनाने लगी....। कोफी बनाकर वो अपने कमरे में लेकर चली गई.....। 
कमरे में आते ही उसने अलका को मेसेज किया। 


"गुड मॉर्निंग डियर "
सामने से कोई जवाब नहीं आया तो उसे लगा वो भी सो रही होगी.....। 

रश्मि कोफी लेकर अपने कमरे की खिड़की पर आकर बाहर का नजारा देखने लगी। 
बहुत देर तक वो ऐसे ही कमरे में घुम रही थी, कभी खिड़की पर, कभी बालकनी में। 

तभी उसके दरवाजे पर किसी ने आवाज दी.. अंदर आ सकता हूँ.....? 
रश्मि ने बालकनी से आकर देखा तो रिषभ खड़ा था। 


आओ रिषभ .....। आपका ही घर हैं......। 

घर तो मेरा है पर ये कमरा अभी आपका हैं.....। 
वैसे मैं तो आपको ये कहने आया था कि आप तैयार हो जाइए हमें होस्पिटल जाना है, पर आप तो पहले से ही तैयार हैं। 
तो फिर चलिए नीचे नाश्ता करके चलते हैं। 


पर आप क्युं तकलीफ कर रहे हैं.....। मैं खुद चली जाऊंगी.....। 

जब तक आप यहाँ हैं.......पापा ने आपकी पुरी जिम्मेदारी मुझे दी हैं......तो प्लीज कोई सवाल जवाब नहीं.....। वरना मुझे पापा से डांट खानी पड़ेगी......। अभी चलिए नीचे......।

ऐसा कहकर रिषभ ने उसकी कलाई पकड़ ली। 
रश्मि कुछ बोले इससे पहले ही वो सिढ़ियो पर आया ओर फिर रश्मि की कलाई छोड़ते हुए बोला :- आइए । 

रश्मि को इस तरह उसका कलाई पकड़ना अच्छा नहीं लगा। उसे कुछ अजीब सी घबराहट होने लगी थी। 

वो नाश्ते की टेबल पर आई सब लोग साथ ही बैठे थे। रिषभ रश्मि के बिल्कुल पास वाली कुर्सी पर बैठ गया। 

रश्मि ने अपना नाश्ता सर्व किया। रश्मि की मम्मी ने भी खुद का नाश्ता लिआ। 

रिषभ ने दो तीन बार बहाने से रश्मि को छुआ। रश्मि सबके साथ होने कि वजह से कुछ बोली नहीं। 

रिषभ की हिम्मत जैसे बढ़ गई हो, अब कि बार उसने टेबल के नीचे से रश्मि के पैरों को अपने पैर से छुआ। 

रिषभ की इस हरकत से रश्मि बहुत डर गई ओर घबरा कर उठ गई। 

मोहन :- क्या हुआ बेटा.....। उठ क्युं गई.....बैठो नाश्ता करो। 


रश्मि घबराते हुए- नहीं अंकल मेरा हो गया। मैं अभी आती हूँ....। कहकर वो अपने कमरे में चली गई। 

कमरे में आकर वो रोने लगी। 
पर उसे मालूम था कि उसने अगर ये बात मम्मी को बताई तो वो कभी यकीन नहीं करेगी। ओर अंकल को भी कैसे बताती। अभी एक दिन भी नहीं हुआ है आए हुवे। अंकल मेरी बात मानेंगे। 
वो सोच सोच कर रोती रही। 
तभी उसने अलका को फोन किया। 


अलका ने फोन उठाते ही कहा.. सॉरी यार अभी तेरा मेसेज देखा। कितने बजे जा रही है होस्पिटल.....? 


रश्मि ने उसे रिषभ की बात बताने का सोचा पर कुछ बता नहीं पाई ओर बोली.. :- अभी निकल रहे हैं। रिषभ भी चल रहा है साथ में.....। तु तैयार होकर चल....। 


रश्मि अगर रिषभ चल रहा है तो मेरी क्या जरूरत हैं......। मेरी तबीयत वैसे भी थोड़ी ठीक नहीं लग रही हैं......तु कहें तो मैं थोड़ा आराम करने के लिए रुक जाऊं......। 

 ठीक है, तु आराम कर ...... मैं वक्त मिलते ही आती हूँ तेरे पास....। 
 

ऐसा कहकर उसने फोन रख दिया

तभी बल्लु वहां आया :- मेमसाब आपको सब नीचे बुला रहे हैं। 

रश्मि बिना कुछ बोले नीचे आ गई.....। 

चलिए आंटी....। 
रिषभ उनकी सारी फाईल लेकर बोला.....। 

तीनों बाहर आए तो रिषभ ने कार का दरवाजा खोला ओर आंटी को बिठाया। रश्मि भी बैठने गई तो रिषभ ने इस बार उसके कंधे को छुआ। रश्मि सकपका गई.....। 


रिषभ मुस्कुराता हुआ  ड्राइविंग सीट पर आया और हास्पिटल की ओर चल दिया। वो अभी भी बार बार मिरर में से रश्मि को ही देख रहा था। इस बार रश्मि ने भी उसे ऐसा करते हुए देख लिया था। वो रिषभ के इरादे समझ चुकी थी पर फिर भी चुप थी क्योंकि इस वक़्त वो ये सारी बातें किसी को बता नहीं सकती थीं....। 
अलका ठीक नहीं थी। 
अंकल को बिना सबूत के कुछ बोलना सही नहीं था....। 
मम्मी ओर पापा तो उस पर विश्वास करने से रहे....। 
वो ये सब बातें सोच सोच कर घबरा रही थी......। 

वो मन ही मन बस ये प्रार्थना कर रही थी कि मम्मी का इलाज जल्द से जल्द हो जाए ओर वो यहां से हमेशा के लिए चली जाए....। 

हास्पिटल पहुंचते ही रिषभ उतरा ओर रश्मि को फाईल पकड़ाते हुए बोला :- आप ये पकड़िये आंटी को मैं लेकर चलता हूँ। 

रश्मि सब समझ रहीं थी कि वो क्युं मम्मी के सामने इतना अच्छा व्यवहार कर रहा है। पर इस वक़्त कुछ बोलना सही नहीं था। 
उसने गुस्से से रिषभ को देखा ओर फाईल ले ली। 
रिषभ आंटी से मस्ती मजाक करते हुए डाक्टर के केबिन में ले गया। 


डाक्टर- आइये बैठिये, कैसे हैं आप रिषभ सर.....। 
रिषभ ने हाथ मिलाते हुए कहा:- आई एम फाईन।। 

बैठो रश्मि ओर सर को फाईल दिखाओ। 
रश्मि ने फाइल दी।
 
डाक्टर फाईल लेकर देखने लगा, फिर उन्होंने दवाईयों की रिसिप्ट ली। 
सब देखने के बाद उन्होंने रश्मि की मम्मी को अंदर  दुसरे केबिन में चलने को कहा। 

रश्मि की मम्मी डाक्टर के साथ अंदर जाने लगी....। रश्मि भी उनके साथ जाने लगी तो डाक्टर ने उसे बाहर रूकने को बोला। 
रश्मि बाहर बैठ गई.....। 

तभी रिषभ अपनी कुर्सी से उठा ओर रश्मि के पास आया....। रश्मि घबराने लगी....। 

रिषभ ने पास आकर पहले   उसके बालों को सहलाया। ओर कहा :- इतना क्यूँ घबरा रहीं हो रश्मि.... मैं कोई भूत तो नहीं..!! 

रिषभ :- मुझसे दूर रहिये.... वरना अच्छा नहीं होगा...। 

 पर रिषभ नहीं माना वो उसके ओर करीब आया...। रिषभ ने अपने दोनों हाथ रश्मि के कंधे पर रख दिए.....। रश्मि ने उसे जोर से धक्का दिया रिषभ थोड़ा पीछे की ओर हुआ पर वो फिर भी नहीं माना रश्मि पलट कर बाहर जाने के लिए भागी । रिषभ ने उसकी कलाई पकड़ ली ओर जोऱ से अपनी तरफ खींचा।
 
 मुझसे बचकर कहा जाओगी जानेमन.....। 


रश्मि इस बार चुप नहीं बैठी ओर उसने अपनी पुरी ताकत से अपने  दुसरे हाथ से रिषभ को जोरदार थप्पड़ मार दिया। 


दो पल के लिए तो रिषभ का सिर चकराने लगा। 

वो गाली देते हुए बोला--; ***** तेरी इतनी हिम्मत, तुने मुझे थप्पड़ मारा, वो रश्मि कि तरफ़ बढ़ ही रहा था कि अंदर वाले केबिन से दोनों बाहर आए। 

डाक्टर ने बाहर आते ही बोला.. क्या हुआ रिषभ सर आप ठीक नहीं लग रहें। 

रिषभ-; मुझे एक जरूरी काम है डाक्टर, मैं चलता हूँ, आप ......जो भी बात है इनसे कर लिजीए। 

इतना कहकर रिषभ गुस्से में वहां से चला गया। 

डाक्टर ने रश्मि को बैठने को कहा ओर उनकी सारी कंडीशन बताई। फिर एक दवाई की रिसिप्ट देते हुए कहा.. ये दवाई अभी से शुरू कर देना। 


रश्मि ने रिसिप्ट ली, फीस दी ओर डाक्टर को थैंक्स कहती हुई बाहर आई। बाहर आकर उसने मेडिकल स्टोर से दवाई ली और रिक्शा में बैठ कर मोहन अंकल के घर आई। 
रश्मि ने अपनी मम्मी को घर पर छोड़ा ओर अपनी मम्मी से कहा..:- मम्मी आप अंदर जाइए, मुझे डाक्टर ने कुछ ओर बात करने के लिए बुलाया है मैं उनसे मिलकर आती हुं।
 

वो बिना कुछ बोले अंदर चली गई। रश्मि ने उसी रिक्शा को रिटर्न करने को बोला.....। 

भईया जी वो सामने वाले गेस्ट हाउस की तरफ चलिए। 

रश्मि असल में अलका के पास जा रही थी, उसने अपनी मम्मी को झूठ बोला था। इस वक़्त अलका ही उसे सही रास्ता बता सकती थी......। 



रिषभ के गंदे इरादों से रश्मि कब तक बच पाएगी....। 
क्या अलका उसकी मदद कर पाएगी....। 

जानने के लिए अगले भाग का इंतजार करे...। 



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3 Comments

Mohammed urooj khan

18-Oct-2023 10:50 AM

👌👌👌👌

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Gunjan Kamal

31-Jul-2023 09:00 AM

शानदार भाग

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Mukesh Duhan

31-Jul-2023 08:35 AM

Nice ji

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